बिहार, भारत का एक प्रमुख राज्य, हर साल मॉनसून के दौरान बाढ़ की विभीषिका का सामना करता है। गंगा और उसकी सहायक नदियों के उफान से राज्य के कई जिले, विशेषकर उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र, बुरी तरह प्रभावित होते हैं। बाढ़ के कारण हजारों लोग बेघर हो जाते हैं, फसलें नष्ट हो जाती हैं, और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस लेख में हम बिहार में बाढ़ के प्रमुख कारणों और राहत कार्यों पर चर्चा करेंगे। बिहार में बाढ़
बिहार में बाढ़ के बढ़ते कारण
- अत्यधिक वर्षा: बिहार में मॉनसून के दौरान अत्यधिक वर्षा होती है, जिससे गंगा, कोसी, बागमती, और अन्य नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है। इस वर्ष भी सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण नदियों का पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।
- नदी तंत्र में अव्यवस्था: बिहार में नदियों के तंत्र में उचित प्रबंधन का अभाव भी बाढ़ का एक बड़ा कारण है। नदी किनारे के क्षेत्रों में जलभराव की उचित निकासी व्यवस्था नहीं होने से पानी गांवों में घुस जाता है। इसके अलावा, पुराने बांधों और नहरों की देखभाल न होना भी स्थिति को गंभीर बना देता है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून के स्वरूप में असामान्य बदलाव हो रहे हैं। बारिश के पैटर्न में अनियमितता और अचानक भारी बारिश बाढ़ की स्थिति को और विकराल बना देती है। यह प्राकृतिक आपदा अब पहले से कहीं अधिक बार और तीव्रता से आ रही है।
- वनों की कटाई और मिट्टी का कटाव: जंगलों की अंधाधुंध कटाई से मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है, जिससे नदियों में अधिक सिल्ट जमा हो रहा है। इससे नदियों की गहराई कम हो रही है और पानी आसानी से बाहर आकर बाढ़ का रूप ले लेता है।
बाढ़ से राहत कार्य
बाढ़ के प्रकोप से निपटने के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई तरह के राहत कार्यों का संचालन कर रही हैं। कुछ प्रमुख राहत कार्य निम्नलिखित हैं: बिहार में बाढ़
- राहत शिविरों की स्थापना: प्रभावित क्षेत्रों में कई राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। सरकार ने राहत शिविरों में बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति का पूरा ध्यान रखा है।
- NDRF और SDRF की तैनाती: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। ये टीमें नावों और हेलिकॉप्टरों के माध्यम से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने और राहत सामग्री वितरित करने का कार्य कर रही हैं।
- स्वास्थ्य सेवाएं: बाढ़ के बाद जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए मेडिकल टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। मोबाइल अस्पतालों और मेडिकल कैंपों के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं।
- फसल बीमा योजना: बाढ़ से नष्ट हुई फसलों के लिए सरकार किसानों को मुआवजा प्रदान कर रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को उनकी क्षतिपूर्ति की जा रही है, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से राहत मिल सके।
- बांधों और नहरों की मरम्मत: बाढ़ के बाद बांधों और नहरों की मरम्मत का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है, ताकि भविष्य में बाढ़ का खतरा कम किया जा सके। इसके लिए सरकार ने इंजीनियरिंग विशेषज्ञों की एक टीम को तैनात किया है।
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
बिहार में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए केवल तात्कालिक राहत कार्य ही पर्याप्त नहीं हैं। दीर्घकालिक समाधान की भी आवश्यकता है। नदियों के पुनर्संरचना, जल निकासी तंत्र को सुधारने, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस योजनाओं की आवश्यकता है। इसके साथ ही, बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में सतर्कता और जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए ताकि बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
निष्कर्ष
बिहार में बाढ़ का प्रकोप हर साल बढ़ता जा रहा है। अत्यधिक वर्षा, नदी तंत्र में अव्यवस्था, और जलवायु परिवर्तन जैसे कारण इसके पीछे प्रमुख भूमिका निभाते हैं। हालांकि सरकार और प्रशासन द्वारा राहत कार्यों की सराहना की जा सकती है, लेकिन दीर्घकालिक योजनाओं की सख्त जरूरत है। बाढ़ से बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाने से ही इस समस्या से स्थायी रूप से निपटा जा सकता है।